RAJ INFOTECH SYSTEM @ NETWORK

RAJ INFOTECH SYSTEM @ NETWORK
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥ हे नाथ मैँ आपको भूलूँ नही...!! हे नाथ ! आप मेरे हृदय मेँ ऐसी आग लगा देँ कि आपकी प्रीति के बिना मै जी न सकूँ.

Friday, June 15, 2012

हे नाथ मैँ आपको भूलूँ नही



हे नाथ मैँ आपको भूलूँ नही...!! हे नाथ ! 

आप मेरे हृदय मेँ ऐसी आग लगा देँ कि आपकी प्रीति के बिना मै जी न सकूँ.


ईश्वर अंश जीव अविनाशी, चेतन अमल सहज सुख राशि

स्वामी रामसुखदास जी महाराज
नारायण! नारायण! नारायण! नारायण! नारायण!
राम राम राम राम राम रामराम राम राम राम राम
राम राम राम राम राम रामराम राम राम राम राम
राम राम राम राम राम रामराम राम राम राम राम
श्री मन नारायण नारायण नारायण......श्री मन नारायण नारायण नारायण......
श्री मन नारायण नारायण नारायण......श्री मन नारायण नारायण नारायण...... 

ईश्वर के अंश होने के कारण हम परम आनंद को पाने के अधिकारी हैं, चेतना के उस दिव्य स्तर तक पहुंचने के अधिकारी हैं जहाँ विशुद्ध प्रेम, सुख, ज्ञान, शक्ति, पवित्रता और शांति है. सम्पूर्ण प्रकृति भी तब हमारे लिये सुखदायी हो जाती है.  इस स्थिति को केवल अनुभव किया जा सकता है यह स्थूल नहीं है अति सूक्ष्म है परम की अनुभूति अंतर को अनंत सुख से ओतप्रोत कर देती है, और परम तक ले जाने वाला कोई सदगुरु ही हो सकता है. सर्व भाव से उस सच्चिदानंद की शरण में जाने की विधि वही सिखाते हैं. हम देह नहीं हैं, देही हैं, जिसे शास्त्रों में जीव कहते हैं. जीव परमात्मा का अंश है, उसके लक्षण भी वही हैं जो परमात्मा के हैं. वह भी शाश्वत, चेतन तथा आनन्दस्वरूप है.
थोड़ी-थोड़ी देर मेँ पुकारते रहेँ-
हे नाथ ! हे मेरे नाथ ! मैँ आपको भूलूँ नहीँ ।

एक सूरदास भगवान्‌के मन्दिरमें गये तो लोगोंने उनसे कहा ‘आप कैसे आये ?’ वे बोले ‘भगवान्‌का दर्शन करनेके लिये ।’ लोगोंने पूछा ‘तुम्हारे आँखें तो हैं नहीं, दर्शन किससे करोगे ?’ वे बोले ‘दर्शनके लिये मेरे नेत्र नहीं हैं तो क्या ठाकुरजीके भी नेत्र नहीं हैं ? वे तो मेरेको देख लेंगे न ! वे मेरेको देखकर प्रसन्न हो जायँगे तो बस, हमारा काम हो गया ।’

जब भी मन मेँ दुःख,चिन्ता,भय आदि विचार आयेँ मन ही मन भगवान का ध्यान करते हुए आर्तभाव से पुकारेँ- 
हे नाथ...! हे मेरे नाथ....!!

ऐसा कहने मात्रसे सब दुःख-चिन्ता आदि दूर भाग जायेँगे।भगवान का आश्रय (सहारा) मिल जायगा।एक भगवान के आश्रय मेँ ही सदा के लिए अखंड आनंद और निर्भयता है।वास्तवमेँ ईश्वर का आश्रय सदा है,सर्वत्र है।बस स्वीकारने की आवश्यकता है। इसलिए दोनो हाथ ऊपर करके-
हे नाथ! हे मेरे नाथ!! 

मानो व्याकुल गजेँद्र ने नारायण को पुकारा और नारायण सुदर्शन लेकर चल पड़े हो।
भगवान से अपनेपन के समान कुछ भी नही...कुछ भी नही....हे नाथ...! हे मेरे नाथ...!!
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय

कैलाशी काशी के वासी अविनाशी मेरी सुध लीजो।
सेवक जान सदा चरनन को अपनी जान कृपा कीजो॥
तुम तो प्रभुजी सदा दयामय अवगुण मेरे सब ढकियो।
सब अपराध क्षमाकर शंकर, सबकी की विनती सुनियो॥

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय

सतनाम जाने बिना, हंस लोक नहिं जाए। 
ज्ञानी पंडित सूरमा, कर कर मुये उपाय।।

जो जल बाढ़े नांव में, घर में बाढ़े दाम। 
दोऊ हाथ उलीचिये, यही सयानो काम।।

कबीरा ते नर अंध है, गुरु को कहते और। 
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर॥ 

No comments:

Post a Comment