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हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥ हे नाथ मैँ आपको भूलूँ नही...!! हे नाथ ! आप मेरे हृदय मेँ ऐसी आग लगा देँ कि आपकी प्रीति के बिना मै जी न सकूँ.

Friday, January 31, 2014

शक्ति पीठ



शक्ति पीठ
सर्व मंगलं मांगल्ये शिवे सर्वाथ साधिके ।
शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥


हिन्दू धर्म के अनुसार जहां सती देवी के शरीर के अंग गिरे, वहां वहां शक्ति पीठ बन गईं। ये अत्यंय पावन तीर्थ कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं।

अनुक्रम
1 पौराणिक संदर्भ
2 तंत्र चूडामणि अनुसार
3 इक्यावन शक्तिपीठ

पौराणिक संदर्भ

पुराणों के अनुसार सती के शव के विभिन्न अंगों से बावन शक्तिपीठो का निर्माण हुआ था। इसके पीछे यह अंतर्पंथा है कि दक्ष प्रजापति ने कनखल (हरिद्वार) में 'बृहस्पति सर्व' नामक यज्ञ रचाया। उस यज्ञ में ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन जान-बूझकर अपने जमाता भगवान शंकर को नहीं बुलाया। शंकरजी की पत्नी और दक्ष की पुत्री सती पिता द्वारा न बुलाए जाने पर और शंकरजी के रोकने पर भी यज्ञ में भाग लेने गईं। यज्ञ-स्थल पर सती ने अपने पिता दक्ष से शंकर जी को आमंत्रित न करने का कारण पूछा और पिता से उग्र विरोध प्रकट किया। इस पर दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर को अपशब्द कहे। इस अपमान से पीड़ित हुई सती ने यज्ञ-अग्नि कुंड में कूदकर अपनी प्राणाहुति दे दी। भगवान शंकर को जब इस दुर्घटना का पता चला तो क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया। भगवान शंकर के आदेश पर उनके गणों के उग्र कोप से भयभीत सारे देवता और ऋषिगण यज्ञस्थल से भाग गये। भगवान शंकर ने यज्ञकुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकाल कंधे पर उठा लिया और दुःखी हुए इधर-उधर घूमने लगे। तदनंतर जहाँ सती के शव के विभिन्न अंग और आभूषण गिरे, वहाँ बावन शक्तिपीठो का निर्माण हुआ। अगले जन्म में सती ने हिमवान राजा के घर पार्वती के रूप में जन्म लिए घोर तपस्या कर शिवजी को पुन: पति रूप में प्राप्त किया।

तंत्र चूडामणि अनुसार

पुराण ग्रंथों, तंत्र साहित्य एवं तंत्र चूड़ामणि में जिन बावन शक्तिपीठो का वर्णन मिलता है, वे निम्नांकित हैं। निम्नलिखित सूची 'तंत्र चूड़ामणि' में वर्णित इक्यावन शक्ति पीठो की है। बावनवाँ शक्तिपीठ अन्य ग्रंथों के आधार पर है। इन बावन शक्तिपीठो के अतिरिक्त अनेकानेक मंदिर देश-विदेश में विद्यमान हैं। हिमाचल-प्रदेश में नयना देवी का पीठ (पंचकूला) भी विख्यात है। गुफा में प्रतिमा स्थित है। कहा जाता है कि यह भी शक्तिपीठ है और सती का एक नयन यहाँ गिरा था। इसी प्रकार उत्तराखंड के पर्यटन स्थल मसूरी के पास सुरपुंडा देवी का मंदिर (धनौल्टी में) है। यह भी शक्तिपीठ है। कहा जाता है कि यहाँ पर सती का सिर धड़ से अलग होकर गिरा था। माता सती के अंग भूमि पर गिरने का कारण भगवान श्री विष्णु द्वारा सुदर्शन चक्र से सती माता के समस्तांग विछेदित करना था।
इक्यावन शक्तिपीठ
शक्तिपीठों की संख्या इक्यावन कही गई है। ये भारतीय उपमहाद्वीप में विस्तृत हैं। यहां पूरी शक्तिपीठों की सूची दी गई है।
"शक्ति" अर्थात देवी दुर्गा, जिन्हें दाक्षायनी या पार्वती रूप में भी पूजा जाता है।
"भैरव" अर्थात शिव के अवतार, जो देवी के स्वांगी हैं।
"अंग या आभूषण" अर्थात, सती के शरीर का कोई अंग या आभूषण, जो श्री विष्णु द्वारा सुदर्शन चक्र से काटे जाने पर पृथ्वी के विभिन्न स्थानों पर गिरा, आज वह स्थान पूज्य है, और शक्तिपीठ कहलाता है।
क्रम सं०
स्थान
अंग या आभूषण
शक्ति
भैरव
1
हिंगुल या हिंगलाज, कराची, पाकिस्तान से लगभग 125 कि.मी. उत्तर-पूर्व में
ब्रह्मरंध्र (सिर का ऊपरी भाग)
कोट्टरी
भीमलोचन
2
शर्कररे, कराची पाकिस्तान के सुक्कर स्टेशन के निकट, इसके अलावा नैनादेवी मंदिर, बिलासपुर, हि.प्र. भी बताया जाता है।
आँख
महिष मर्दिनी
क्रोधीश
3
सुगंध, बांग्लादेश में शिकारपुर, बरिसल से 20 कि.मी. दूर सोंध नदी तीरे
नासिका
सुनंदा
त्रयंबक
4
गला
महामाया
त्रिसंध्येश्वर
5
जीभ
सिधिदा (अंबिका)
उन्मत्त भैरव
6
जालंधर, पंजाब में छावनी स्टेशन निकट देवी तलाब
बांया वक्ष
त्रिपुरमालिनी
भीषण
7
हृदय
अम्बाजी
बटुक भैरव
8
दोनों घुटने
महाशिरा
कपाली
9
मानस, कैलाश पर्वत, मानसरोवर, तिब्ब्त के निकट एक पाषाण शिला
दायां हाथ
दाक्षायनी
अमर
10
नाभि
विमला
जगन्नाथ
11
गंडकी नदी के तट पर, पोखरा, नेपाल में मुक्तिनाथ मंदिर
मस्तक
गंडकी चंडी
चक्रपाणि
12
बाहुल, अजेय नदी तट, केतुग्राम, कटुआ, वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल से 8 कि.मी.
बायां हाथ
देवी बाहुला
भीरुक
13
उज्जनि, गुस्कुर स्टेशन से वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल 16 कि.मी.
दायीं कलाई
मंगल चंद्रिका
कपिलांबर
14
दायां पैर
त्रिपुर सुंदरी
त्रिपुरेश
15
छत्राल, चंद्रनाथ पर्वत शिखर, निकट सीताकुण्ड स्टेशन, चिट्टागौंग जिला, बांग्लादेश
दांयी भुजा
भवानी
चंद्रशेखर
16
त्रिस्रोत, सालबाढ़ी गाँव, बोडा मंडल, जलपाइगुड़ी जिला, पश्चिम बंगाल
बायां पैर
भ्रामरी
अंबर
17
कामगिरि, कामाख्या, नीलांचल पर्वत, गुवाहाटी, असम
योनि
कामाख्या
उमानंद
18
जुगाड़्या, खीरग्राम, वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल
दायें पैर का बड़ा अंगूठा
जुगाड्या
क्षीर खंडक
19
दायें पैर का अंगूठा
कालिका
नकुलीश
20
हाथ की अंगुली
ललिता
भव
21
जयंती, कालाजोर भोरभोग गांव, खासी पर्वत, जयंतिया परगना, सिल्हैट जिला, बांग्लादेश
बायीं जंघा
जयंती
क्रमादीश्वर
22
किरीट, किरीटकोण ग्राम, लालबाग कोर्ट रोड स्टेशन, मुर्शीदाबाद जिला, पश्चिम बंगाल से 3 कि.मी. दूर
मुकुट
विमला
सांवर्त
23
मणिकर्णिका घाट, काशी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
मणिकर्णिका
विशालाक्षी एवं मणिकर्णी
काल भैरव
24
कन्याश्रम, भद्रकाली मंदिर, कुमारी मंदिर, तमिल नाडु
पीठ
श्रवणी
निमिष
25
सावित्री
स्थनु
26
मणिबंध, गायत्री पर्वत, निकट पुष्कर, अजमेर, राजस्थान
दो पहुंचियां
गायत्री
सर्वानंद
27
श्री शैल, जैनपुर गाँव, 3 कि.मी. उत्तर-पूर्व सिल्हैट टाउन, बांग्लादेश
गला
महालक्ष्मी
शंभरानंद
28
कांची, कोपई नदी तट पर, 4 कि.मी. उत्तर-पूर्व बोलापुर स्टेशन, बीरभुम जिला, पश्चिम बंगाल
अस्थि
देवगर्भ
रुरु
29
कमलाधव, शोन नदी तट पर एक गुफा में, अमरकंटक, मध्य प्रदेश
बायां नितंब
काली
असितांग
30
शोन्देश, अमरकंटक, नर्मदा के उद्गम पर, मध्य प्रदेश
दायां नितंब
नर्मदा
भद्रसेन
31
दायां वक्ष
शिवानी
चंदा
32
केश गुच्छ/
चूड़ामणि
उमा
भूतेश
33
शुचि, शुचितीर्थम शिव मंदिर, 11 कि.मी. कन्याकुमारी-तिरुवनंतपुरम मार्ग, तमिल नाडु
ऊपरी दाड़
नारायणी
संहार
34
पंचसागर, अज्ञात
निचला दाड़
वाराही
महारुद्र
35
करतोयतत, भवानीपुर गांव, 28 कि.मी. शेरपुर से, बागुरा स्टेशन, बांग्लादेश
बायां पायल
अर्पण
वामन
36
दायां पायल
श्री सुंदरी
सुंदरानंद
37
बायीं एड़ी
कपालिनी (भीमरूप)
शर्वानंद
38
प्रभास, 4 कि.मी. वेरावल स्टेशन, निकट सोमनाथ मंदिर, जूनागढ़ जिला, गुजरात
आमाशय
चंद्रभागा
वक्रतुंड
39
भैरवपर्वत, भैरव पर्वत, क्षिप्रा नदी तट, उज्जयिनी, मध्य प्रदेश
ऊपरी ओष्ठ
अवंति
लंबकर्ण
40
ठोड़ी
भ्रामरी
विकृताक्ष
41
सर्वशैल/गोदावरीतीर, कोटिलिंगेश्वर मंदिर, गोदावरी नदी तीरे, राजमहेंद्री, आंध्र प्रदेश
गाल
राकिनी/
विश्वेश्वरी
वत्सनाभ/
दंडपाणि
42
बिरात, निकट भरतपुर, राजस्थान
बायें पैर की अंगुली
अंबिका
अमृतेश्वर
43
रत्नावली, रत्नाकर नदी तीरे, खानाकुल-कृष्णानगर, हुगली जिला पश्चिम बंगाल
दायां स्कंध
कुमारी
शिवा
44
मिथिला, जनकपुर रेलवे स्टेशन के निकट, भारत-नेपाल सीमा पर
बायां स्कंध
उमा
महोदर
45
नलहाटी, नलहाटि स्टेशन के निकट, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल
पैर की हड्डी
कलिका देवी
योगेश
46
कर्नाट, अज्ञात
दोनों कान
जयदुर्गा
अभिरु
47
वक्रेश्वर, पापहर नदी तीरे, 7 कि.मी. दुबराजपुर स्टेशन, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल
भ्रूमध्य
महिषमर्दिनी
वक्रनाथ
48
यशोर, ईश्वरीपुर, खुलना जिला, बांग्लादेश
हाथ एवं पैर
यशोरेश्वरी
चंदा
49
अट्टहास, 2 कि.मी. लाभपुर स्टेशन, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल
ओष्ठ
फुल्लरा
विश्वेश
50
नंदीपुर, चारदीवारी में बरगद वृक्ष, सैंथिया रेलवे स्टेशन, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल
गले का हार
नंदिनी
नंदिकेश्वर
51
लंका, स्थान अज्ञात, (एक मतानुसार, मंदिर ट्रिंकोमाली में है, पर पुर्तगली बमबारी में ध्वस्त हो चुका है। एक स्तंभ शेष है। यह प्रसिद्ध त्रिकोणेश्वर मंदिर के निकट है)
पायल
इंद्रक्षी
राक्षसेश्वर

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