ॐ
गुरु ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुदेव महेश्वर:।
गुरु साक्षात्परब्रह्म तस्मैश्री गुरुवे नम:।।
गुरु साक्षात्परब्रह्म तस्मैश्री गुरुवे नम:।।
हे नाथ
मैँ आपको भूलूँ नही...!! हे नाथ ! आप मेरे हृदय मेँ ऐसी आग लगा देँ कि आपकी प्रीति
के बिना मै जी न सकूँ.
ईश्वर अंश जीव अविनाशी, चेतन अमल सहज सुख राशि
नारायण दास जी महाराज जी महाराज
नारायण!
नारायण! नारायण! नारायण! नारायण!
राम
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
ईश्वर
के अंश होने के कारण हम परम आनंद को पाने के अधिकारी हैं, चेतना के उस दिव्य स्तर तक पहुंचने के
अधिकारी हैं जहाँ विशुद्ध प्रेम, सुख, ज्ञान,
शक्ति, पवित्रता और शांति है. सम्पूर्ण प्रकृति
भी तब हमारे लिये सुखदायी हो जाती है. इस स्थिति
को केवल अनुभव किया जा सकता है यह स्थूल नहीं है अति सूक्ष्म है परम की अनुभूति अंतर
को अनंत सुख से ओतप्रोत कर देती है, और परम तक ले जाने वाला कोई
सदगुरु ही हो सकता है. सर्व भाव से उस सच्चिदानंद की शरण में जाने की विधि वही सिखाते
हैं. हम देह नहीं हैं, देही हैं, जिसे शास्त्रों
में जीव कहते हैं. जीव परमात्मा का अंश है, उसके लक्षण भी वही
हैं जो परमात्मा के हैं. वह भी शाश्वत, चेतन तथा आनन्दस्वरूप
है.
थोड़ी-थोड़ी
देर मेँ पुकारते रहेँ-
हे
नाथ ! हे मेरे नाथ ! मैँ आपको भूलूँ नहीँ ।
ईश्वर अंश जीव
अविनाशी, चेतन अमल
सहज
सुख
राशि
!! श्रीकृष्ण
गोविन्द
हरे
मुरारे
हे
नाथ
नारायण
वासुदेवाय !!
शांताकरम भुजगशयनं
पद्मनाभं
सुरेशं, विश्वाधारं
गगनसदृशं
मेघवर्णँ
शुभांगम।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं
योगभिर्ध्यानिगम्यम।
वंदे
विष्णु
भवभयहरणम्
सर्वलोकैकनाथम॥
हनुमान जी के
नाम
ॐ हनुमान,
ॐ
अंजनी
सुत, ॐ वायु
पुत्र, ॐ महाबल, ॐ रामेष्ठ, ॐ फाल्गुण
सखा, ॐ पिंगाक्ष, ॐ अमित
विक्रम, ॐ उदधिक्रमण, ॐ सीता
शोक
विनाशन, ॐ लक्ष्मण
प्राण
दाता, ॐ दशग्रीव
दर्पहा
बिस्व भरण-पोषण
कर
जोई। ताकर नाम
भरत
अस
होई।।
गई बहोर गरीब
नेवाजू। सरल सबल
साहिब
रघुराजू।।
जपहि नामु जन
आरत
भारी। मिटाई कुसंकट
होहि
सुखारी।।
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