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हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥ हे नाथ मैँ आपको भूलूँ नही...!! हे नाथ ! आप मेरे हृदय मेँ ऐसी आग लगा देँ कि आपकी प्रीति के बिना मै जी न सकूँ.

Wednesday, December 11, 2013

भजन


भजन
सत्यम शिवम् सुन्दरम
इश्वर सत्य है
सत्य ही शिव है
शिव ही सुन्दर है
जागो, उठ कर देखो
जीवन ज्योत उजागर है
सत्यम शिवम् सुन्दरम

राम अवध में,
काशी में शिव,
कान्हा वृन्दावन में,
दया करो प्रभु, देखूं इनको
हर घर के आंगन में
राधा मोहन शरणम
सत्यम शिवम् सुन्दरम...

एक सूर्य है,
एक गगन है,
एक ही धरती माता,
दया करो प्रभु, एक बने सब
सब का एक से नाता
राधा मोहन शरणम
सत्यम शिवम् सुन्दरम...

यशोमती मैया से बोले
यशोमती मैया से बोले नंदलाला
राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला

बोली मुस्काती मैया, ललन को बताया
कारी अंधियरी आधी रात में तू आया
लाडला कन्हैया मेरा, काली कमली वाला
इसीलिए काला
यशोमती मैया से बोले...

बोली मुस्काती मैया, सुन मेरे प्यारे
गोरी गोरी राधिका के नैन कजरारे
काले नैनों वाली ने, ऐसा जादू डाला
इसीलिए काला
यशोमती मैया से बोले...

इतने में राधा प्यारी, आई इठलाती
मैंने न जादू डाला, बोली बलखाती
मैय्या कन्हैया तेरा हो, जग से निराला
इसीलिए काला
यशोमती मैय्या से बोले...

पुकार

मेरा छोटा सा संसार, हरि आ जाओ एक बार
मेरा छोटा सा संसार, हरि आ जाओ एक बार
हरि आ जाओ, हरि आ जाओ
मेरी नैया पार लगा जाओ, मेरी बिगड़ी आ के बना जाओ
नित्य आत्मा करे पुकार, हरि आ जाओ एक बार
हरि आ जाओ, हरि आ जाओ

लाखों को दर्श दिखाया है, प्रभु मुझको क्यों बिसराया है
ये कैसी तुम्हारी माया है
नित बहती है असुवन धार, हरि आ जाओ एक बार
हरी आ जाओ, हरि आ जाओ

जब याद तुम्हारी आती है, तन मन की सुध बिसराती है
रह रह के मुझे तडपाती है
तन मन धन दूं सब वार, हरि आ जाओ एक बार
हरि आ जाओ, हरि आ जाओ

मुझको बिछुड़े युग बीत गये, मुझसे हरि क्यों तुम रूठ गये
मै हार गया, तुम जीत गये
अब दर्शन दो साकार, हरि आ जाओ एक बार

मेरा छोटा सा संसार, हरि आ जाओ एक बार
हरि आ जाओ, हरि आ जाओ

ये जग है एक मेला

( ये जग है एक मेला, यहाँ से एक दिन सब को जाना )-२
ये जग है एक मेला

( तेरा सारा कुटुम्ब कबीला, साथ ना तेरा देंगे )-२
मरते ही तेरी सारी कमाई, झट से बाँट ये लेंगे
जिनको तू कहता है अपना – २
वे तुझको भूलेंगे
इस दुनिया की रीत यही है, इसको कहते ज़माना
ये जग है एक मेला, यहाँ से एक दिन सब को जाना
ये जग है एक मेला ……

तेरे अच्छे कर्म ही भैया, संग तेरे जायेंगे – २
घर वाले और जग वाले तो, मरघट तक जायेंगे
तेरी अस्थि तक वो भैया, घर में ना लायेंगे
इतना हीन का रिश्ता नाता, इतना ही साथ निभाना
ये जग है एक मेला, यहाँ से एक दिन सब को जाना
ये जग है एक मेला …..

कितने ही राजा महाराजा, इस दुनिया में आये -२
लेकिन मौत के आगे अपना, जोर चला ना पाये
मुट्ठी बांध के आने वाले, मुट्ठी खोल के जाये
चाहे कोई रंक हो चाहे, हो कोई महाराणा
ये जग है एक मेला, यहाँ से एक दिन सब को जाना
ये जग है एक मेला ….

जान बूझ कर आंख मूँद कर,क्यूँ करता नादानी – २
बचपन तेरा बीत चुका, और ढलती जाये जवानी
वक्त है अब भी जाग जा भैया,मत कर ये मनमानी
जप ले प्रभु का नाम ओ बन्दे, मत बन तू बेगाना
ये जग है एक मेला, यहाँ से एक दिन सब को जाना
ये जग है एक मेला …..

ओंम जय जगदीश

ओंम जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट
छण में दूर करे, ओंम जय जगदीश हरे

जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिन से मन का
सुख सम्पति घर आवे, कस्ट मिटे तन का
ओंम जय जगदीश हरे …
मात पिता तुम मेरे, शरण गहुँ मै किसकी
तुम बिन और ना दूजा, आस करूँ मै जिसकी
ओंम जय जगदीश हरे …

तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी
पार ब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी
ओंम जय जगदीश हरे …

तुम करूणा के सागर, तुम पालन करता
मै सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भरता
ओंम जय जगदीश हरे …

तुम हो एक अगोचर, सब के प्राण पति
किस विध मिलूँ दयामय, तुम को मै कुमति
ओंम जय जगदीश हरे …

दीनबंधु दुःख हरता, तुम रक्छक मेरे, स्वामी तुम ठाकुर मेरे
अपने हाथ उठाओ, अपनी शरण लगाओ, द्वार पड़ा मै तेरे
ओंम जय जगदीश हरे …

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढाओ, सन्तन की सेवा
ओंम जय जगदीश हरे …

तन मन धन, सब कुछ है तेरा
तेरा तुझ को अर्पण, क्या लगे मेरा
ओंम जय जगदीश हरे

उठ जाग मुसाफिर

उठ जाग मुसाफिर भोर भई , अब रैन कहाँ जो सोवत है
जो जागत है सो पावत है, जो सोवत है सो खोवत है
टुक नींद से अँखियाँ खोल जरा ,और अपने प्रभु से ध्यान लगा
यह प्रीत करन की रीत नहीं, प्रभु जागत हैं तू सोवत है
जो कल करना सो आज करले, जो आज करना सो अब करले
जब चिड़ियों ने चुग खेत लिया, फिर पछताये क्या होवत है
नादान भुगत करनी अपनी, ऐ पापी पाप में चैन कहाँ
जब पाप की गठरी शीश धरी , फिर शीश पकड़ क्यों रोवत है

कभी राम बन के, कभी श्याम बन के

कभी राम बनके, कभी श्याम बनके, चले आना प्रभु जी चले आना
कभी राम रूप में आना
सीता साथ लेके, धनुष हाथ लेके
चले आना प्रभु जी चले आना
कभी राम बनके, कभी श्याम …

कभी कृष्ण रूप में आना
राधा साथ लेके, बंसी हाथ लेके
चले आना प्रभु जी चले आना
कभी राम बनके, कभी श्याम …

कभी शिव जी रूप में आना
गौरा साथ लेके, डमरू हाथ लेके
चले आना प्रभु जी चले आना
कभी राम बनके कभी श्याम …

कभी विष्णु रूप में आना
लक्ष्मी साथ लेके, चक्र हाथ लेके
चले आना प्रभु जी चले आना
कभी राम बनके, कभी श्याम …

कभी गणपति रूप में आना
रिधी साथ लेके, सिधी साथ लेके
चले आना प्रभु जी चले आना
कभी राम बनके, कभी श्याम …

जोत से जोत जगाते चलो

जोत से जोत जगाते चलो, प्रेम की गंगा बहाते चलो
राह में आये जो दिन दुखी, सब को गले से लगाते चलो
जिसका ना कोई संगी साथी, ईशवर है रखवारा
जो निर्धन है जो निर्बल है, वो है प्रभु का प्यारा
प्यार के मोती लुटाते चलो, प्रेम की गंगा …

आशा टूटी ममता रूठी, छूट गया है किनारा
बंद करो मत द्वार दया का, दे दो कुछ तो सहारा
दीप दया का जलाते चलो, प्रेम की गंगा …

छाया है चहूँ ओर अँधेरा, भटक गई हैं दिशायें
मानव बन बैठा है दानव, किसको व्यथा सुनायें
धरती को स्वर्ग बनाते चलो, प्रेम की गंगा …

छोटी छोटी गैया

छोटी छोटी गैया छोटे छोटे ग्वाल,
छोटो सो मेरो मदन गोपाल, हरी छोटो सो मेरो मदन गोपाल
घास खावें गैया, दूध पिवें ग्वाल
माखन खावे मेरो मदन गोपाल, हरि, माखन खावे मेरो मदन गोपाल
छोटी छोटी गैया …
आगे आगे गैया,पीछे पीछे ग्वाल
बीच में मेरो मदन गोपाल, हरि, बीच में मेरो मदन गोपाल
छोटी छोटी गैया …
छोटी छोटी लकुटी छोटे छोटे हाथ
बंसी बजावे मेरो मदन गोपाल, हरि, बंसी बजावे मेरो मदन गोपाल
छोटी छोटी गैया …
छोटी छोटी सखियाँ मधुवन बाल
रास रचावे मेरो मदन गोपाल, हरि, रास रचावे मेरो मदन गोपाल
छोटी छोटी गैया …

कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं

कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं
बाद अमृत पिलाने से क्या फ़ायदा
कभी गिरते हुवे को उठाया नहीं
बाद आंसू बहाने से क्या फ़ायदा

कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं
बाद अमृत पिलाने से क्या फ़ायदा

( मै तो मंदिर गया, पूजा आरती की
पूजा करते हुवे ये ख्याल आ गया ) – २
कभी माँ बाप की सेवा की ही नहीं
सिर्फ पूजा के करने से क्या फ़ायदा

कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं
बाद अमृत पिलाने से क्या फ़ायदा

( मै तो सत्संग गया गुरुवाणी सुनी
गुरुवाणी को सुनकर ख्याल आ गया ) – २
जन्म मानव का लेके दया न करी
फिर मानव कहलाने से क्या फ़ायदा

कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं
बाद अमृत पिलाने से क्या फ़ायदा

( मैंने दान किया मैंने जपतप किया
दान करते हुवे ये ख्याल आ गया ) -२
कभी भूखे को भोजन खिलाया नहीं
दान लाखों का करने से क्या फ़ायदा

कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं
बाद अमृत पिलाने से क्या फ़ायदा

( गंगा नहाने हरी द्वार कासी गया
गंगा नहाते ही मन में ख्याल आ गया ) -२
तन को धोया मगर मन को धोया नहीं
फिर गंगा नहाने से क्या फ़ायदा

कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं
बाद अमृत पिलाने से क्या फ़ायदा

( मैंने वेद पढ़े मैंने शाश्त्र पढ़े
शाश्त्र पढ़ते हुवे ये ख्याल आ गया ) -२
मैंने ज्ञान किसी को बांटा नहीं
फिर ज्ञानी कहलाने से क्या फ़ायदा

कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं
बाद अमृत पिलाने से क्या फ़ायदा

( मात पिता के ही चरणों में चारो धाम हैं
आजा आजा यही मुक्ति का धाम है ) – २
पिता माता की सेवा की ही नहीं
फिर तीर्थो में जाने से क्या फ़ायदा

कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं
बाद अमृत पिलाने से क्या फ़ायदा
कभी गिरते हुवे को उठाया नहीं
बाद आंसू बहाने से क्या फ़ायदा

जय रघुनन्दन जय सिया राम
जानकी वल्लब सीता राम
जय रघुनन्दन जय सिया राम
जानकी वल्लब सीता राम

जय रघुनन्दन जय सिया राम
जानकी वल्लब सीता राम
जय रघुनन्दन जय सिया राम
जानकी वल्लब सीता राम
जय रघुनन्दन जय सिया राम
जानकी वल्लब सीता राम

रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम
रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम

ऐ मेरे वतन के लोगों
तुम खूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन है हम सब का

लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर
वीरों ने हैं प्राण गवांये

कुछ याद उन्हें भी कर लो
कुछ याद उन्हें भी कर लो
जो लौट के घर ना आये
जो लौट के घर ना आये

ऐ मेरे वतन के लोगों
ज़रा आँख में भर लो पानी

जो शहीद हुये हैं उनकी
ज़रा याद करो कुर्बानी

ऐ मेरे वतन के लोगों
ज़रा आँख में भर लो पानी

जो शहीद हुये हैं उनकी
ज़रा याद करो कुर्बानी

जब घायल हुआ हिमालय
खतरे में पड़ी आज़ादी
ज़ब तक थी साँस लड़े वो
ज़ब तक थी साँस लड़े वो

फ़िर अपनी लाश बिछा दी
संगीन पे धर कर माथा
सो गये अमर बलिदाना

जो शहीद हुये हैं उनकी
ज़रा याद करो कुर्बानी

जब देश में थी दीवाली
वो खेल रहे थे होली
जब हम बैठे थे घरों में
जब हम बैठे थे घरों में

वो झेल रहे थे गोली
थे धन्य ज़वानवो अपने
थी धन्य वो उनकी जवानी

जो शहीद हुये हैं उनकी
ज़रा याद करो कुर्बानी

कोई सिख कोई जाट मराठा
कोई सिख कोई जाट मराठा
कोई गुरखा कोई मद्रासी
कोई गुरखा कोई मद्रासी

सरहद पर मरने वाला
सरहद पर मरने वाला

हर वीर था भारतवासी
जो खून गिरा पर्वत पर
वो खून था हिन्दुस्तानी

जो शहीद हुये हैं उनकी
ज़रा याद करो कुर्बानी

थी खून से लथ-पथ काया
फ़िर भी बन्दूक उठा के
दस दस को एक ने मारा
फ़िर गिर गये होश गँवा के

जब अंत समय आया तो
जब अंत समय आया तो

कह गये की अब मरते हैं
जब अंत समय आया तो
कह गये की अब मरते हैं

खुश रहना देश के प्यारों
खुश रहना देश के प्यारों
अब हम तो सफर करते हैं
अब हम तो सफर करते हैं

क्या लोग थे वो दीवाने
क्या लोग थे वो अभिमानी

जो शहीद हुये हैं उनकी
ज़रा याद करो कुर्बानी

तुम भूल ना जाना उनको
इस लिए कही ये कहानी

जो शहीद हुये हैं उनकी
ज़रा याद करो कुर्बानी

जय हिंद जय हिंद की सेना
जय हिंद जय हिंद की सेना

जय हिंद
जय हिंद
जय हिंद



भागवत आरती

भागवत भगवान की है आरती
पापियों को पाप से है प्रारथी

भागवत भगवान की है आरती
पापियों को पाप से है प्रारथी

भागवत भगवान की है आरती
पापियों को पाप से है प्रारथी

ये अमर ग्रन्थ ये मुख्य पन्थ
ये पंचम वेद निराला
नव ज्योति जगानेवाला

ये अमर ग्रन्थ ये मुख्य पन्थ
ये पंचम वेद निराला
नव ज्योति जगानेवाला

हरि गान यही वरदान यही
जग की मंगल की आरती
पापियों को पाप से है प्रारथी
भागवत भगवान की है आरती
पापियों को पाप से है प्रारथी

ये शान्तिगीत पावन पुनीत
शाकों को मिटानेवाला
हरि दर्श दिखानेवाला

ये शान्तिगीत पावन पुनीत
शाकों को मिटानेवाला
हरि दर्श दिखानेवाला है सुख करनी, है दुःख हरिनी

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