मेरी प्यारी बेटी...
पलकों में पली साँसों में बसी माँ की आस है बेटी
हर पल मुस्काती गाती एक सुखद अहसास है बेटी
गहन अंधेरी रातों में जैसे, भोर की उजली किरन है बेटी
सूने आँगन में खिली, मासूम कली की सी मुस्कान है बेटी
मान अभिमान है बेटी, दोनों कुलों की लाज है बेटी
दुख दर्द अंदर ही सहती,एक खामोश आवाज़ है बेटी
तपित धरती पर सघन छाया सी, शीतल हवा है बेटी
लक्ष्मी दुर्गा सरस्वती सी,बुजुर्गो की पावन दुआ है बेटी
करते विदा जब डोली में,तब पराई होजाती है बेटी
उदास मन सूना आँगन, फिर बहुत याद आती है बेटी
हर पल मुस्काती गाती एक सुखद अहसास है बेटी
गहन अंधेरी रातों में जैसे, भोर की उजली किरन है बेटी
सूने आँगन में खिली, मासूम कली की सी मुस्कान है बेटी
मान अभिमान है बेटी, दोनों कुलों की लाज है बेटी
दुख दर्द अंदर ही सहती,एक खामोश आवाज़ है बेटी
तपित धरती पर सघन छाया सी, शीतल हवा है बेटी
लक्ष्मी दुर्गा सरस्वती सी,बुजुर्गो की पावन दुआ है बेटी
करते विदा जब डोली में,तब पराई होजाती है बेटी
उदास मन सूना आँगन, फिर बहुत याद आती है बेटी
मेरी प्यारी बेटी
पलकों में पली साँसों में बसी माँ की आस है बेटी
हर पल मुस्काती गाती एक सुखद अहसास है बेटी
गहन अंधेरी रातों में जैसे, भोर की उजली किरन है बेटी
सूने आँगन में खिली, मासूम कली की सी मुस्कान है बेटी
मान अभिमान है बेटी, दोनों कुलों की लाज है बेटी
दुख दर्द अंदर ही सहती,एक खामोश आवाज़ है बेटी
तपित धरती पर सघन छाया सी, शीतल हवा है बेटी
लक्ष्मी दुर्गा सरस्वती सी,बुजुर्गो की पावन दुआ है बेटी
करते विदा जब डोली में,तब पराई होजाती है बेटी
उदास मन सूना आँगन, फिर बहुत याद आती है बेटी
हर पल मुस्काती गाती एक सुखद अहसास है बेटी
गहन अंधेरी रातों में जैसे, भोर की उजली किरन है बेटी
सूने आँगन में खिली, मासूम कली की सी मुस्कान है बेटी
मान अभिमान है बेटी, दोनों कुलों की लाज है बेटी
दुख दर्द अंदर ही सहती,एक खामोश आवाज़ है बेटी
तपित धरती पर सघन छाया सी, शीतल हवा है बेटी
लक्ष्मी दुर्गा सरस्वती सी,बुजुर्गो की पावन दुआ है बेटी
करते विदा जब डोली में,तब पराई होजाती है बेटी
उदास मन सूना आँगन, फिर बहुत याद आती है बेटी
मेरी प्यारी प्यारी बेटी
मेरी प्यारी प्यारी बेटी
मुझको सदा प्यार है देती
जबसे आई है जीवन में
फूल खिले मेरे आँगन में
चहका करती थी घर भर में
सबको दोस्त बनाती पल में
मेरे सुख में सबसे आगे
मरे दुःख में सबसे आगे
खुश होती,हंसती,मुस्काती
दुःख होता आंसू ढलकाती
चेहरा आइना सा बन के
सारे भाव दिखाता मन के
मिलनसार,प्यारी,निश्छल है
जीवन को जीती हर पल है
उसके एक नहीं,दो दो घर
एक ससुराल,एक है पीहर
दो दो मम्मी,दो दो पापा
अंतर रखती नहीं जरासा
तालमेल सबसे बैठा कर
दोनों घर में खुशियाँ दी भर
बेटे बदले,करके शादी
लेकिन बदल न पाती
हुई परायी,पर अपनापन
महकाया है मेरा जीवन
मेरे जीवन की उपलब्धी
मेरी प्यारी प्यारी बेटी
मुझको सदा प्यार है देती
जबसे आई है जीवन में
फूल खिले मेरे आँगन में
चहका करती थी घर भर में
सबको दोस्त बनाती पल में
मेरे सुख में सबसे आगे
मरे दुःख में सबसे आगे
खुश होती,हंसती,मुस्काती
दुःख होता आंसू ढलकाती
चेहरा आइना सा बन के
सारे भाव दिखाता मन के
मिलनसार,प्यारी,निश्छल है
जीवन को जीती हर पल है
उसके एक नहीं,दो दो घर
एक ससुराल,एक है पीहर
दो दो मम्मी,दो दो पापा
अंतर रखती नहीं जरासा
तालमेल सबसे बैठा कर
दोनों घर में खुशियाँ दी भर
बेटे बदले,करके शादी
लेकिन बदल न पाती
हुई परायी,पर अपनापन
महकाया है मेरा जीवन
मेरे जीवन की उपलब्धी
मेरी प्यारी प्यारी बेटी
मेरी प्यारी बिटिया.!
फूलों सी कोमल
रंगों सी मोहक
इन्द्रधनुष सी सजीली
बेला मोगरा सी महकती
दुलारती, इठलाती
गुडिया सी वो
है सबकी आँख का तारा
मेरी प्यारी बिटिया.
बरसाती वो प्यार
पाती वो प्यार
बस एक
हमारा घर ही तो है,
जिसमें हर आँख की किरकिरी है
क्यों वो ऐसी है?
बेटी है तो
बंद दरवाजों की दरारों से
सांस लेने का हक है उसको
जितनी गहरी वे कहें
उतनी ही सांस ले
और वो
दरवाजे खिड़कियाँ तोड़कर
मुक्त जीना चाहती है.
मैं भी चाहती हूँ
इसीलिए
इस घर में
सबसे बड़ी गुनाहगार
मैं ही हूँ.
अपना सा जीवन
उसके हिस्से में डालूँ
कभी नहीं
जननी हूँ तो
उसकी भाग्य विधाता भी बनूंगी.
वह सब दूँगी
जिसके लिए मैं तरसी हूँ
इस विशाल अन्तरिक्ष को
उसकी प्रतिभा के सूर्य से
जगमगाना है
बेटी है तो क्या?
मान उसको मेरा बढ़ाना है.
मान उसको मेरा बढ़ाना है.
रंगों सी मोहक
इन्द्रधनुष सी सजीली
बेला मोगरा सी महकती
दुलारती, इठलाती
गुडिया सी वो
है सबकी आँख का तारा
मेरी प्यारी बिटिया.
बरसाती वो प्यार
पाती वो प्यार
बस एक
हमारा घर ही तो है,
जिसमें हर आँख की किरकिरी है
क्यों वो ऐसी है?
बेटी है तो
बंद दरवाजों की दरारों से
सांस लेने का हक है उसको
जितनी गहरी वे कहें
उतनी ही सांस ले
और वो
दरवाजे खिड़कियाँ तोड़कर
मुक्त जीना चाहती है.
मैं भी चाहती हूँ
इसीलिए
इस घर में
सबसे बड़ी गुनाहगार
मैं ही हूँ.
अपना सा जीवन
उसके हिस्से में डालूँ
कभी नहीं
जननी हूँ तो
उसकी भाग्य विधाता भी बनूंगी.
वह सब दूँगी
जिसके लिए मैं तरसी हूँ
इस विशाल अन्तरिक्ष को
उसकी प्रतिभा के सूर्य से
जगमगाना है
बेटी है तो क्या?
मान उसको मेरा बढ़ाना है.
मान उसको मेरा बढ़ाना है.
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