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हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥ हे नाथ मैँ आपको भूलूँ नही...!! हे नाथ ! आप मेरे हृदय मेँ ऐसी आग लगा देँ कि आपकी प्रीति के बिना मै जी न सकूँ.

Sunday, November 11, 2012

संक्षिप्त लक्ष्मी पूजन विधि









लक्ष्मी पूजन सामग्री एवं विधि 
सामान्यतः दीपावली पूजन का अर्थ लक्ष्मी पूजा से लगाया जाता है, किंतु इसके अंतर्गत गणेश, गौरी, नवग्रह षोडशमातृका, महालक्ष्मी, महाकाली, महासरस्वती, कुबेर, तुला, मान व दीपावली की पूजा भी होती है। दीपावली प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है।
पूजन के लिए आवश्यक सामग्री : लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियाँ, लक्ष्मी सूचक सोने अथवा चाँदी का सिक्का, लक्ष्मी स्नान के लिए स्वच्छ कपड़ा, लक्ष्मी सूचक सिक्के को स्नान के बाद पोंछने के लिए एक बड़ी व दो छोटी तौलिया। बहीखाते, सिक्कों की थैली, लेखनी, काली स्याही से भरी दवात, तीन थालियाँ, एक साफ कपड़ा, धूप, अगरबत्ती, मिट्टी के बड़े व छोटे दीपक, रुई, माचिस, सरसों का तेल, शुद्ध घी, दूध, दही, शहद, शुद्ध जल।
पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी व शुद्ध जल का मिश्रण)
मधुपर्क (दूध, दही, शहद व शुद्ध जल का मिश्रण)
हल्दी व चूने का पावडर, रोली, चन्दन का चूरा, कलावा, आधा किलो साबुत चावल, कलश, दो मीटर सफेद वस्त्र, दो मीटर लाल वस्त्र, हाथ पोंछने के लिए कपड़ा, कपूर, नारियल, गोला, मेवा, फूल, गुलाब अथवा गेंदे की माला, दुर्वा, पान के पत्ते, सुपारी, बताशे, खांड के खिलौने, मिठाई, फल, वस्त्र, साड़ी आदि, सूखा मेवा, खील, लौंग, छोटी इलायची, केसर, सिन्दूर, कुंकुम, गिलास, चम्मच, प्लेट, कड़छुल, कटोरी, तीन गोल प्लेट, द्वार पर टाँगने के लिए वन्दनवार। याद रहे लक्ष्मीजी की पूजा में चावल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। धान की खील (पंचमेवा गतुफल सेब, केला आदि), दो कमल। लक्ष्मीजी के हवन में कमलगट्टों को घी में भिगोकर अवश्य अर्पित करना चाहिए। कमलगट्टों की माला द्वारा किए गए माँ लक्ष्मीजी के जप का विशेष महत्व बताया गया है।
ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।
यः स्मरेत्‌ पुण्डरीकाक्षं व वाभ्यन्तर शुचिः॥
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः
कूर्मोदेवता आसने विनियोगः

अब पृथ्वी पर जिस जगह आपने आसन बिछाया है, उस जगह को पवित्र कर लें और माँ पृथ्वी को प्रणाम करके मंत्र बोलें-
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्‌॥
पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नम
अब आचमन करे
पुष्प, चम्मच या अंजुलि से एक बूँद पानी अपने मुँह में छोड़िए और बोलिए-
ॐ केशवाय नमः
और फिर एक बूँद पानी अपने मुँह में छोड़िए और बोलिए-
ॐ नारायणाय नमः
फिर एक तीसरी बूँद पानी की मुँह में छोड़िए और बोलिए-
ॐ वासुदेवाय नमः
फिर ॐ हृषिकेशाय नमः कहते हुए हाथों को खोलें और अंगूठे के मूल से होंठों को पोंछकर हाथों को धो लें। पुनः तिलक लगाने के बाद प्राणायाम व अंग न्यास आदि करें। आचमन करने से विद्या तत्व, आत्म तत्व और बुद्धि तत्व का शोधन हो जाता है तथा तिलक व अंगन्यास से मनुष्य पूजा के लिए पवित्र हो जाता है।
आचमन आदि के बाद आँखें बंद करके मन को स्थिर कीजिए और तीन बार गहरी साँस लीजिए। यानी प्राणायाम कीजिए क्योंकि भगवान के साकार रूप का ध्यान करने के लिए यह आवश्यक है फिर पूजा के प्रारंभ में स्वस्ति वाचन किया जाता है। उसके लिए हाथ में पुष्प, अक्षत और थोड़ा जल लेकर स्वस्तिन इंद्र वेद मंत्रों का उच्चारण करते हुए परम पिता परमात्मा को प्रणाम किया जाता है। फिर पूजा का संकल्प किया जाता है।
संकल्प : आप हाथ में अक्षत, पुष्प और जल ले लीजिए। कुछ द्रव्य भी ले लीजिए। द्रव्य का अर्थ है कुछ धन। यह सब हाथ में लेकर संकल्प मंत्र को बोलते हुए संकल्प कीजिए किमैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हो। सबसे पहले गणेश जी व गौरी का पूजन कीजिए। उसके बाद वरुण पूजा यानी कलश पूजन करना चाहिए।
हाथ में थोड़ा-सा जल ले लीजिए और आह्वाहन व पूजन मंत्र बोलिए और पूजा सामग्री चढ़ाइए।
फिर नवग्रहों का पूजन कीजिए। हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए।
इसके बाद षोडश मातृकाओं का पूजन किया जाता है। हाथ में गंध, अक्षत, पुष्प ले लीजिए। सोलहमाताओं को नमस्कार कर लीजिए और पूजा सामग्री चढ़ा दीजिए।

सोलह माताओं की पूजा के बाद रक्षाबन्धन होता है।
रक्षाबंधन विधि में मौली लेकर भगवान गणपति पर चढ़ाइए और फिर अपने हाथ में बंधवा लीजिए और तिलक लगा लीजिए।
अब आनन्दचित्त से और निर्भय होकर महालक्ष्मी की पूजा प्रारंभ कीजिए।
लक्ष्मी जी की आरती

  जय  लक्ष्मी माता , मैया  जय लक्ष्मी  माता ,
तुमको  निस  दिन  सेवत , हरी , विष्णु  दाता
  जय  लक्ष्मी  माता
उमा  राम  ब्रह्मानी , तुम  हो  जग  माता , मैया , तुम  हो  जग  माता ,
सूर्य  चनरा माँ  ध्यावत , नारद   ऋषि  गाता .
  जय  लक्ष्मी  माता .ll
दुर्गा  रूप  निरंजनी , सुख  सम्पति  डाटा , मैया  सुख   सम्पति  दाता
जो  कोई  तुमको  ध्याता , रीधी  सिद्दी  धन  पाटा
   जय  लक्ष्मी  माता .
जिस  घर  में   तू  रहती , सब  सुख  गुना  आता ,
मैया  सब  सुख  गुना  आता , ताप  पाप  मिट  जाता , मन  नहीं  घबराता .
  जय  लक्ष्मी  माता
धुप  दीप  फल  मेवा , माँ  स्वीकार  करो ,
मैया  माँ  स्वीकार  करो , ज्ञान  प्रकाश  करो  माँ , मोहा  अज्ञान  हरो .
  जय  लक्ष्मी  माता .
महा  लाक्स्मीजी  की  आरती , जो  गावे
मैया  निस  दिन   जो   गावे ,
और आनंद समता   ,  पाप  उतर जाता
  जय  लक्ष्मी  माता .

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