Friday, March 15, 2013

UMA VINOD KHUDANIYA ज़िन्दगी


कदम थक गए है दूर निकलना छोड़ दिया,
पर ऐसा नहीं की मैंने चलना छोड़ दिया.......
फासले अक्सर मोहब्बत बढ़ा देते है,
पर ऐसा नहीं की मैंने मिलना छोड़ दिया.........
मैंने चिरागों से रोशन की है अक्सर अपनी शाम,
पर ऐसा नहीं की मैंने दिल को जलाना छोड़ दिया .......
मैं आज भी अकेला हूँ दुनिया की भीड़ में,
पर ऐसा नहीं है की मैंने ज़माना छोड़ दिया......!!

कभी कभी ये ज़िन्दगी ऐसे हालातों मे फंस जाती हे
चाह कर भी कुछ नहीं कर पाती है
आसूं तो बहते नहीं आँखों से मगर रूह अन्दर ही रोती जाती है
हर पल कुछ कर दिखने की चाह सताती है
सख्त हालातों की हवाँ ताब-औ-तन्वा हिला जाती है

गुज़र रहा है वक़्त गुज़र रही है ज़िन्दगी
क्यूँ न इन राहों पर एक असर छोड़ चले








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